शनिवार, 5 दिसंबर 2015

ऐ मेरे हमसफ़र, एक ज़रा इंतज़ार सुन सदायें दे रही हैं, मंज़िल प्यार की

 मेरे हमसफ़र, एक ज़रा इंतज़ार 
सुन सदायें दे रही हैं, मंज़िल प्यार की 

ऐ मेरे हमसफ़र, एक ज़रा इंतजार
सुन सदायें दे रही हैं, मंज़िल प्यार की

[जिसको दुआओं में माँगा 
तू है वही रहनुमा 
तेरे बिना मुश्किल है 
एक भी क़दम चलना ] x २ 

बिन तेरे कहाँ है मंज़िल प्यार की 
ऐ मेरे हमसफ़र, एक ज़रा इंतजार
सुन सदायें दे रही हैं, मंज़िल प्यार की

[ना हम बेवफ़ा हैं 
ना प्यार है कम दरमियाँ 
पर अपनी तक़दीरें 
हैं बिलकुल ही जुदा ] x २ 

पर कैसे मिलेगी मंज़िल प्यार की 
ऐ मेरे हमसफ़र, एक ज़रा इंतजार
सुन सदायें दे रही हैं, मंज़िल प्यार की

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