शनिवार, 5 दिसंबर 2015

ऐ मेरे हमसफ़र, एक ज़रा इंतज़ार सुन सदायें दे रही हैं, मंज़िल प्यार की

 मेरे हमसफ़र, एक ज़रा इंतज़ार 
सुन सदायें दे रही हैं, मंज़िल प्यार की 

ऐ मेरे हमसफ़र, एक ज़रा इंतजार
सुन सदायें दे रही हैं, मंज़िल प्यार की

[जिसको दुआओं में माँगा 
तू है वही रहनुमा 
तेरे बिना मुश्किल है 
एक भी क़दम चलना ] x २ 

बिन तेरे कहाँ है मंज़िल प्यार की 
ऐ मेरे हमसफ़र, एक ज़रा इंतजार
सुन सदायें दे रही हैं, मंज़िल प्यार की

[ना हम बेवफ़ा हैं 
ना प्यार है कम दरमियाँ 
पर अपनी तक़दीरें 
हैं बिलकुल ही जुदा ] x २ 

पर कैसे मिलेगी मंज़िल प्यार की 
ऐ मेरे हमसफ़र, एक ज़रा इंतजार
सुन सदायें दे रही हैं, मंज़िल प्यार की

ख़ामोश रहने में दम घुटता है

ख़ामोश रहने में दम घुटता है   
और बोलने से ज़बां छीलती है 
डर लगता है नंगे पाऊँ मुझे 
कोई कब्र पाऊं तले हिलती है 
परेशान हूँ ज़िन्दगी से 

क्या पता कब कहाँ से मारेगी ज़िन्दगी 
क्या पता कब कहाँ से मारेगी ज़िन्दगी 
बस के मैं, ज़िन्दगी से डरता हूँ 
बस के मैं, ज़िन्दगी से डरता हूँ 
मौत का क्या है, एक बार मारेगी 

धूल उड़ने लगती है जब शाम की 
सब कांच भर जाते हैं गर्द से 
मैं डरता हूँ, मैं डरता हूँ 
दिल जब धड़कने से थकने लगे 
नींद आने लगती है तब दर्द से 
अनजान हूँ ज़िन्दगी से 

क्या पता कब कहाँ से मारेगी ज़िन्दगी 
क्या पता कब कहाँ से मारेगी ज़िन्दगी 
बस के मैं ज़िन्दगी से डरता हूँ 
बस के मैं ज़िन्दगी से डरता हूँ 
मौत का क्या है 
एक बार मारेगी

हो पल का मरना
पल पल का जीना
जीना है कम कम

घुटता है दम दम.. घुटता है
दुखता है दिल दुखता है
घुटता है दम दम.. घुटता है
डर है अन्दर छुपता है
घुटता है दम दम.. घुटता है

हो पल पल का मरना
पल पल का जीना
जीना है कम कम
घुटता है दम दम.. घुटता है
घुटता है दम दम.. घुटता है
घुटता है दम दम.. घुटता है

क्यूँ बार बार लगता है मुझे
कोई दूर छुपके ताकता मुझे
कोई आस पास आया तो नहीं
मेरे साथ मेरा साया तो नहीं

हम्म.. चलती हैं लेकिन
नब्ज़ भी थोड़ी, सांस भी कम कम
घुटता है दम दम.. घुटता है
घुटता है दम दम.. घुटता है